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परकेसी का दर्शन क्या है| What is Phylosophy Of Praxis PDF

परकेसी का दर्शन क्या है| What is Phylosophy Of Praxis PDF 

 

ग्रामसी का जीवन परिचय

अंतोनियो ग्रामसी का जन्म 22 जनवरी सन 1891 ईसवी को इटली के सार्डिनिया प्रांत के आलेस गांव में हुआ था। इनके मां का नाम ज्यूसेपिना मार्सियस तथा पिता का नाम फ्रांसिस्को ग्रामसी था। इनके पिता पेशे से एक राजस्व आधिकारी थे , 27 अक्टूबर 1900 को इनके पिता को भ्रष्टाचार के झूठे आरोप में फसाकर जेल भिजवा दिया जाता है जिसके कारण ग्रामसी के परिवार के आर्थिक स्थिति खराब हो जाते हैं ग्रामसी की मा ने बड़े कठिन हालातों में एंटोनियो ग्रामसी का पालन पोषण करती हैं उसने ग्रामसी को गांव के स्कूल में पढ़ने के लिए भेजते हैं जब ग्रामसी के पिता जेल से छूट जाते हैं तो परिवार की आर्थिक स्थिति में थोड़ा बहुत सुधारा आ जाता है और ग्रामसी अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के लिए 1988 में का क्लियर के उच्च विद्यालय में दाखिला लेता है इसी समय ग्राम सी पर उसके बड़े भाई जैनारो पर काफी प्रभाव पड़ा जेनारो एक समाजवादी लड़का था और उसने ग्राम सी को राजनीतिक शिक्षा दी। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद ग्रामसी ने 1911 में तुरीन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और 1913 ईस्वी में ग्रामसी ने इटालियन समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली और सोशलिस्ट यूथ ग्रुप के सदस्य के रूप में राजनीतिक विवादों में बढ़-चढ़कर भाग लेने लगा।

30 सितंबर 1917 को तुरीन सोशलिस्ट पार्टी का नेता चुने जाने के बाद उसकी राजनीति में शक्ति भूमिका आरंभ हुई इसके बाद उन्होंने इटली में समाजवादी क्रांति को सफल बनाने के लिए श्रमिकों में क्रांतिकारी चेतना का सूत्र पात्र आरंभ कर दिया। लेकिन ग्राम सी की क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उसे 8 नवंबर 1926 को जेल में डाल दिया गया परंतु आरोप साबित न होने के कारण उसे रिहा कर दिया गया 9 फरवरी 1927 को उस पर नए सिरे से आरोप लगाकर उसे आजीवन कारावास का दंड दिया गया जेल में उसे कठोर शारीरिक यातनाएं दी गई जेल में रहकर ही उसने राजनीतिक विचारों का पोषण किया उसके अधिकतर विचारक Prision Notes के रूप में इसी दौरान प्रतिपादित हुए यहां पर लगातार गिरते स्वास्थ के कारण ग्रामसी कि 27 अप्रैल 1937 को दिमाग की ग्रंथि फट जाने के कारण मृत्यु हो गई और इस प्रकार एक व्यक्ति वादी व उदारवादी ,व्यवहारिक मार्क्सवादी तथा लोकतांत्रिक केंद्रीय वाद की विचारधारा के प्रबल समर्थक ग्रामसी प्रभात के तारे की तरह अल्प आयु में ही अपनी पहचान राजनीतिक चिंतन की क्षितिज में कायम कर गए।

परकेसी का दर्शन: Philosophy Of Praxis  

विश्व में मार्क्स के दर्शन से पहले दर्शन को राजनीति से अलग रखने की परंपरा विद्यमान थी लेकिन कार्ल मार्क्स ने सर्वप्रथम अपने विचारों में सिद्धांत तथा व्यवहार की एकरूपता पर जोड़ दिया उसने कहा कि दर्शन और राजनीति एक ही सिक्के के दो पहलू हैं इसलिए इनको अलग नहीं किया जा सकता है कार्ल मार्क्स ने दर्शन और राजनीति के पारस्परिक संबंधों को विभिन्न वर्गों के दृष्टिकोण से ऐतिहासिक आधार पर पोस्ट किया है और मार्क्सवाद को सर्वहारा वर्ग की विश्व दृष्टि बना दिया इस आधार पर दर्शन का स्वरूप एवं विषय वस्तु भाषा पर आधारित है क्योंकि भाषा ही संप्रेषण का वह साधन है जो दर्शन को स्वरूप और अंतर्वस्तु प्रदान करती है भाषा ही प्रत्येक दर्शन का अंतर्निहित भाग है ग्रामसी का कहना है कि विश्व में आदर्श वादियों ने तथा कुछ अन्य विचारको ने बुद्धिजीवी योग के दर्शन को साधारण जनता के दर्शन से अलग करके देखने का प्रयास किया है।

ग्रामसी ने श्रमजीवी वर्ग के इतिहास को आदर्श वादियों के बुद्धिजीवी वर्ग के इतिहास से अधिक महत्व देकर अपना विचार व्यक्त किया है। के दार्शनिकों ने केवल संसार की व्याख्या की है संसार को बदलने की बात नहीं की है इसलिए आज प्रमुख समस्या विश्व में परिवर्तन लाने की है ।
इसलिए दर्शन को राजनीति होना चाहिए व्यवहारिक होना चाहिए और सबसे अधिक इसे दर्शन ही होना चाहिए।
आगे ग्रामसी से कहते हैं कि द्वंदवाद और पपरकेसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

द्वंदवाद का सिद्धांत है इतिहास शास्त्र का सारा तत्व तथा राजनीति का विज्ञान है। परकेसी का दर्शन या मार्क्सवाद का दर्शन समाज में विरोधाभास का अंतर्विरोध उत्पन्न करता है तथा पूर्वर्ती दर्शनों से इस बात में भिन्न हो जाता है कि अंतर्विरोध को समाप्त करने की बजाय अंतर्विरोध हो का मूल सिद्धांत बन जाता है। ग्रामसी ने कहा है कि दर्शन का कार्य इतिहासिक प्रक्रिया से उत्पन्न समस्याओं का हल निकालना होना चाहिए।
इस तरह पर परकेसी का दर्शन निरपेक्ष इतिहास वाद और निरपेक्ष मानववाद है ग्रामसी ने परकेसी के दर्शन की आड़ में निम्न स्तर या श्रमजीवीयो के इतिहास का वर्णन किया है।

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