Polity
नीति आयोग-(NITI)

नीति आयोग-(NITI)
(National Institute for Transforming of India)
- नीति आयोग को समाप्त करके 1 जनवरी 2015 नीति आयोग की स्थापना की गयी। नीति आयोग की स्थापना योजना आयोग की तर्ज पर हुई है। क्योंकि नीति आयोग भी-
- संविधानोत्तर संस्था है।
- इसके भी गठन मंत्रिमंडल संकल्प के आधार पर हुआ।
- यह भी सलाहकारी संस्था है।
- इसका भी पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
- इसका एक उपाध्यक्ष होता है जिसकी नियुक्ति प्रधानमंत्री करता है।
- अन्य सदस्य में-
- तीन पूर्णकालिक और दो अंशकालिक सदस्य होते है। अंशकालिक सदस्य अनुसंधान संस्थाओं या विश्वविद्यलयों के विशेषज्ञ होते है।
- चार केंद्रीय कैबिनेट मंत्री भी इसके पदेन सदस्य होते है।
- एक गवर्निंग काउंसिल होती है (Governing council) जिसमें राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रशासक शामिल होते है।
- एक क्षेत्रीय परिषद भी होती है जिसमें संबंधित राज्यों के मुख्यमत्री सदस्य होते है।
- एक कार्यकारी अधिकारी भी होता है।
नीति आयोग के कार्य-
- जहां योजना आयोग का कार्य संशोधनों का आवंटन करके विकास लक्ष्यों को निर्धारित करना था वही नीति आयोग कार्य देश के विकास के लिए नई-नई नीतियों का सुझाव देना है अर्थात् यह संशोधन का आवंटन नहीं करेगा वरन् थिंक टैंक के रूप में कार्य करेगा। इसकी दिशा नीचे से ऊपर की ओर होगी अर्थात् नीतियों का सुझाव देने के लिए प्रधान से प्रधानमंत्री तक शामिल किया जाएगा। इस तरह नीति आयोग सामूहिक सोच और सामूहिक सहयोग से सामूहिक विकास से सहयोगी संघवाद को जमीन पर उतारने का काम कर रहा है। दूसरे शब्दों में सबका साथ सबका हाथ, सबका विचार और सबका विकास ही नीति आयोग का मूल मंत्र है।
केंद्र और राज्यों के बीच विवादित मुद्दे-
- 1967 तक केंद्र और राज्य दोनों में कांग्रेस का एक छत्र राज्य था इसलिए केंद्र और राज्य के बीच विवाद का कोई सवाल नहीं उठता केंद्र पर सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। इस आरोप-प्रत्यारोप में केंद्र और राज्यों के बीच निम्नलिखित विवाद के मुददे उभर कर सामने आये-
- राष्ट्रपति शासन अनु.-356।
- राज्यपाल का पद।
- संविधान संशोधन की शाक्ति का संविधान के पास होना।
- अखिल भारतीय सेवाएं।
- अनु. 249।
- केंद्र द्वारा राज्यों को अल्प अनुदान दिया जाना।
- वित्त आयोग।
इस तरह केंद्र और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्त तीनों क्षेत्रों में विवाद है लेकिन राज्य मुख्य रूप से वित्तीय क्षेत्र में ही स्वायत्तता की मांग कर रहे है। अतः इन विवादों को देखते हुए केंद्र और राज्यों के बीच अच्छे संबंध हैं। सहयोगी संघवाद की स्थापना के लिए समय-समय पर सुझाव देने हेतु विभिन्न आयोगों का गठन किया जाता रहा है।
वित्त आयोग, अनु.280
- प्रत्येक पांच वर्ष के अंतराल पर राष्ट्रीय वित्त आयोग का गठन करता है। अध्यक्ष सहित वित्त आयोग 5 सदस्यीय होता है पहले आयोग के अध्यक्ष के.सी. नियोगी थे, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष- एन.के. सिंह। (नंद किशोर सिंह) वित्त आयोग का मुख्य कार्य-
- केंद्र और राज्यों के बीच कर राज्स्व के वितरण की सिफारिश करना है।
- केंद्र द्वारा राज्यों को दिये जाने वाले अनुदान की सिफारिश करता है।
- राष्ट्रपति सुदृढ़ वित्त के लिए जो भी कार्य वित्त आयोग को सौंपेगा वह करेगा।
योजना आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद्
- योजना आयोग की स्थापना 15 मार्च 1950 को हुयी। राज्यों को योजना आयोग में भागीदारी देने के लिए योजना आयोग की सहयोगी संस्था के रूप में 6 अगस्त 1952 ई. को राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन किया गया। इन दोनों संस्थाओं का गठन-
- मंत्रिमंडलीय संकल्प से हुआ।
- अर्थात् दोनों संस्थाओं का उल्लेख संविधान में नहीं है अतः यह संविधानोत्तर संस्थाएं थी।
- दोनों संस्थाओं का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता था।
- राष्ट्रीय विकास परिषद के सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रशासक होते थे।
- योजना आयोग का मुख्य कार्य देश के विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना था राष्ट्रीय विकास परिषद इस काम में योजना आयोग की सहायता करती थी।
- योजना आयोग ही अधिकांश योजनाओं का आवंटन था इसलिए इसे देश का आर्थिक मंत्रिमंडल कहा जाता था।