संविधान संशोधन अनुच्छेद -365
Constitution Amendment अर्थात संविधान संशोधन अनुच्छेद 365 को डिटेल्स में समझाया गया है हमारा कंटेंट government exams को ध्यान में रखकर लिखा है compettetive exams की तैयारी करने वाले student के लिए अति महत्वपूर्ण है।
संशोधन- [भाग-20 अनु.368]
- संविधान का संशोधन संसद करती है संसद इसके लिए संशोधन विधेयक लाती है संशोधन विधेयक किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।
लेकिन यदि कोई सदन असहमति हो जाता है तो विधेयक समाप्त हो जाता है अर्थात् संशोधन विधेयक को लेकर संयुक्त बैठक नहीं होगी। संशोधन विधेयक जब पारित होकर राष्ट्रपति के पास जाएगा तो राष्ट्रपति हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य है।
विधेयक पारित करने के लिए अपेक्षित बहुमतः
बहुमत तीन प्रकार की होती हैः
साधारण बहुमतः
साधारण बहुमत से केवल संविधान के केवल तीन प्रशासन संशोधित किए जाते है?
- नये राज्यों का गठन – अनु.3
- SC/ST का प्रावधान
- विधान परिषद का सृजन या उत्साहन- अनु.169
विशेष बहुमत-
विशेष बहुमत में दो शर्ते हैं-
- सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत + उपस्थिति एवं मतदान करने वाले सदस्यों का 2/3 बहुमत।
साधारण बहुमत से संशोधित होने वाले प्रावधानों और अति विशेष संशोधन से पारित होने वाले प्रावधानों को छोड़कर संविधान के शेष प्रावधान विशेष बहुमत से संशोधन किये जाते है।
अति विशेष बहुमत
विशेष बहुमत + आधे से अधिक राज्यों के अनुसमर्थन से संशोधित होने वाले प्रावधानों को अति विशेष बहुमत कहा जाता है। इस बहुमत से संविधान के निम्नलिखित परिसंघीय प्रावधान (केंद्र और राज्य दोनों से संबंधित) संशोधित किये जाते है।
- राष्ट्रपति का चुनाव अनु.54-55
- 7वीं अनुसूची
- केंद्र और राज्य की विधायी शक्तियों का विस्तार- अनु.245
- केंद्र और राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
- न्यायपालिका
- G.S.T.
- संविधान संशोधन- अनु. 368
उपरोक्त से स्पष्ट है कि भारत का संविधान संशोधन के मामले में नम्य
और कठोर के बीच का है नम्य व लचीला संविधान वह होता है जिसमें साधारण बहुमत और संशोधन किया जा सके जबकि कठोर संविधान वह संविधान होता है जिसमें साधारण बहुमत से संशोधन नहीं किया जा सकता है।
यहां यह स्मरण रहे की संविधान में साधारण बहुमत से किये गये संविधान को संविधान का संशोधन नहीं माना जाता।