सल्तनत काल
मध्यकालीन भारत का महत्वपूर्ण अध्याय सल्तनत काल को इस पोस्ट में पढ़ने वाले हैं यहां से सभी परीक्षाओं में जरूर प्रश्न पूछा जाता है
मध्यकालीन भारत का इतिहास
सल्तनत काल
मोहम्मद बिन कासिम भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम अरब मुस्लिम था जिसने सिंधवा मुल्तान को 712 ईसवी में जीत लिया था उस समय सिंध का शासक ब्राह्मण वंशीय राजा दाहिर था भारत पर प्रथम तुर्क आक्रमण 986 ईसवी में गजनी के शासक सुबुक्तगीन ने किया था
गुलाम वंश (1206-1290)
कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-10)
- यह मोहम्मद गोरी का गुलाम था जो बाद में सेनानायक था
- पहले इसकी राजधानी लाहौर थी बाद में दिल्ली बनी
- इसने कुतुब मीनार का निर्माण कार्य प्रारंभ करवाया था कुतुबमीनार का नाम प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया
- इसने भारत की प्रथम मस्जिद कुब्बत उल इस्लाम दिल्ली में और अड़ाई दिन का झोपड़ा अजमेर में बनवाया थ
- इसकी मृत्यु लाहौर में चौगान (पोलो) खेलते हुए घोड़े से गिरकर हुई थी
इल्तुतमिश (1210-36)
- कुतुबुद्दीन की मृत्यु के बाद उसका पुत्र आरामशह को सिंहासन पर बैठाया गया किंतु आरामशाह आयोग शासक था इसलिए कुतुबुद्दीन के दमाद इल्तुतमिश में शासन संभाला
- इल्तुतमिश ने इक्ता व्यवस्था शुरू की थी इसके तहत सभी सैनिकों गैर सैनिक अधिकारियों के नगद वेतन के बदले भूमि प्रदान की जाती थी
- इल्तुतमिश ने चांदी के टका तथा तांबे की जितल का प्रचलन किया तथा दिल्ली में टकसाल स्थापित किया
- वह दिल्ली का पहला शासक था जिसने सुल्तान की उपाधि धारण की
- इसने बगदाद के खलीफा से मान्यता प्राप्त की और ऐसा करने वाला वह प्रथम मुस्लिम शासक बना
- इसने 40 योग्य तुर्क सरदार के एक दल चालीसा का गठन किया जिसने इल्तुतमिश की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
- इल्तुतमिश को भारत में गुंबद निर्माण का पिता कहा जाता है
- इल्तुतमिश ने रजिया को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया क्योंकि उसके सारे पुत्र अयोग्य थे
रजिया सुल्तान (1236-40)
- रजिया दिल्ली की प्रथम और अंतिम मुस्लिम शासिका थी यह घोड़े पर सवार होकर युद्ध के मैदान में जाती थी
- इसने ने सैनिक वेषभूषण धारण की पर्दा करना बंद कर दिया और हाथी पर चढ़कर जनता के बीच जाना शुरू कर दिया
- इसके बाद बहरामसाह अलाउद्दीन मसूदशाह तथा नसीरुद्दीन महमूद ने शासन किया परंतु यह सभी अयोग्य थे और बलबन ने सत्ता हथिया ली
बलबन (1266-86)
- यह चालीसा का सदस्य था
- बलबन ने अपने विद्रोहियों की समाप्ति के लिए लौह एवं रक्त की नीति अर्थात खून का बदला खून का अनुपालन किया
- बलबन ने गद्दी पर बैठते ही चाल से को रद्द कर दिया
- इसने इल्तुतमिश परिवार के सभी सदस्यों को मरवा दिया
- बलबन ने नौरोज त्योहार की शुरुआत की
- सुल्तान की प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बलबन ने दरबार में सिजदा (घुटने के बल बैठकर सुल्तान के सामने सिर झुकाना) तथा पाबोस (पीठ के बल लेटकर सुल्तान की पैरों को चुमना)
- मंगोलों के साथ लड़ाई में उसके पुत्र महमूद की मौत हो जाने के कारण बलबन को बहुत आघात पहुंचा और बीमार हो करके उसकी मृत्यु हो गई इसके साथ ही गुलाम वंश समाप्त हो गया
खिलजी वंश (1290-1320)
जलालुद्दीन खिलजी(1290-96)
- यह दिल्ली सल्तनत का प्रथम शासक था जिसका हिंदू जनता के प्रति उदार दृष्टिकोण था
- सुल्तान के भतीजे अलाउद्दीन देवीगिरी के यादव राजा को हराकर अपार धन अर्पित किया और अंततः धोखे से अपने चाचा की हत्या कर दी
अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316)
- अलाउद्दीन का महान सेनापति मालिक कफूर गुजरात विजय के दौरान नुसरत खा द्वारा 1000 दिनार में खरीदा गया जिससे उसे हजार दिनारी भी कहा जाता है
- चित्तौड़गढ़ के राजा रतन सिंह की रानी पद्मिनी की कहानी मानकर मलिक मोहम्मद जायसी ने पद्मावत ग्रंथ की रचना की
- अलाउद्दीन दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने दक्षिण भारत में विजय पताका आर आई थी अलाउद्दीन ने दक्षिण भारतीय अभियान का नेतृत्व सेनापति मलिक काफुर खा ने किया था
- अलाउद्दीन खिलजी को ही द्वितीय सिकंदर कहा जाता है
- वह प्रथम शासक था जिसने पहली बार स्थाई सेना स्थपित की थी
- पहली बार घोड़े को दागने की प्रथा शुरू की
- अलाउद्दीन बाजार में सभी वस्तुओं के मूल निर्धारित कर दिया
- इस के दरबार में अमीर खुसरो और हसन जैसे कवि थे
- अमीर खुसरो सितार का आविष्कार किया तथा वीणा को संशोधित किया
- अमीर खुसरो को तोता ए हिंद कहा जाता है
- अलाई दरवाजा का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था
तुगलक वंश (1320-1414)
गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325)
- यह तुगलक वंश का संस्थापक था इसका नाम गाजी मलिक है
- इसने जनता के साथ उदार व्यवहार किया था और सिंचाई के साधनों में विशेषकर नहरों का निर्माण करवाया
- गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के निकट उनका तुगलकाबाद नामक नगर बसाकर इसे अपनी राजधानी बनाया
मोहम्मद बिन तुगलक (1325-1351)
- इसका वास्तविक नाम जूना खां था।
- इसे इतिहास में एक बुद्धिमान मूर्ख शासक के नाम से जाना जाता है
- इसने अपने जीवन काल के दौरान पांच ऐसे महत्वपूर्ण फैसले किए जो विफल हो गए कर वृद्धि राजधानी का स्थानांतरण सांकेतिक मुद्रा कराचील अभियान।
- इब्नबतूता ने भारतीय समकालीन इतिहास पर आधारित पुस्तक सफरनामा अर्थात रेहला लिखी
- 1351 में मोहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु हो गई उसके बाद उसका चचेरा भाई फिरोज शाह तुगलक गद्दी पर बैठा
फिरोजशाह तुगलक(1351-1388)
- यह एक उदार शासक था और उसने उलेमा वर्ग की सलाह मानते हुए इस्लामिक राज्य की स्थापना की
- फिरोज शह अपने आर्थिक व प्रशासनिक सुधारों के कारण सल्तनत काल का अकबर कहा जाता है
- इसने अकाशी बिजली से ध्वस्त हुई कुतुब मीनार की पांचवी मंजिल का पुनर्निर्माण करवाया
- जौनपुर की स्थापना फिरोजशाह तुगलक ने की थी
- प्रसिद्ध इतिहासकार बरनी उसका दरबारी था उसने तारीख ए फिरोजशाही तथा फतवा यह जहांगिरी नमक पुस्तक लिखी
सैयद वंश (1414-1451)
- सैयद वंश की स्थापना खिज्र खां ने की थी
- खिज्र खां के उत्तराधिकारी मुबारकशाह मुहम्मदशाह अलाउद्दीन आलम शाह आदि अयोग्य सरस्वती जिससे बहलोल लोदी को मौका मिला जिसने लोदी वंश की स्थापना की
लोदी वंश (1451-1526)
बहलोल लोदी (1451-1489)
- इस वंश की स्थापना बहलोल लोदी ने की थी दिल्ली सल्तनत में शासन करने वाला प्रथम अफगान वंश था
- बहलोल लोदी अपने सिंहासन पर बैठ कर अपने दरबारियों के बीच बैठता था
सिकन्दर लोदी (1489-1517)
- यह लोदी वंश का सर्वप्रथम शासक था
- सिकंदर लोदी ने भूमि मापन हेतु गज ए सिकंदरी नामक पैमाने का प्रचलन किया
- इसने 1504 की में आगरा शहर की स्थापना की और 1506 ईसवी में इसे अपनी राजधानी बनाया
इब्राहिम लोदी(1517-1526)
- यह दिल्ली सल्तनत अथवा लोदी वंश का अंतिम शासक था
- इब्राहिम लोदी 1526 ईसवी के पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर के हाथों मारा गया और दिल्ली सल्तनत का काल समाप्त हो गया
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